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Bhagwat Geeta – 12

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Bhagwat Geeta - 12

The aim of Vedamrita is to make the students of Yoga subject perfect for the preparation of NET-JRF and other competitive examinations ....

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यज्ञ से बचे हुए अन्न को खाने वाला श्रेष्ठ पुरुष किससे मुक्त हो जाता है?

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मनुष्य दोष दृष्टि से रहित और श्रद्धा युक्त होकर मत का सदा अनुसरण करते हुए किस से छूट जाते हैं?

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यथा योग्य आहार विहार करने वाले का कर्मों में यथा योग्य चेष्टा करने वाले का तथा यथा योग्य सोने जागने वाले को किसकी प्राप्ति हो जाती है?

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लोक संग्रह को देखते हुए भी किसे करने योग्य बताया गया है?

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निरंतर किससे रहित होकर सदा कर्तव्य कर्म करते रहना चाहिए?

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प्रकृति के गुणों से अत्यंत मोहित हुए मनुष्य किसमें आसक्त रहते हैं?

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यज्ञ में सदा कौन प्रतिष्ठित रहते हैं?

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कर्म समुदाय को किससे उत्पन्न होना बताया गया है?

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गीता के अनुसार अन्न की उत्पत्ति किससे होती है?

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गीता के अनुसार कौन सा राजा आसक्ति से रहित कर्म के द्वारा परम सिद्धि को प्राप्त किया था?

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गीता के अनुसार कौन सा राजा आसक्ति से रहित कर्म के द्वारा परम सिद्धि को प्राप्त किया था?

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गीता के अनुसार संपूर्ण प्राणी किससे उत्पन्न होते हैं?

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कर्म न करने की अपेक्षा किसे करनाश्रेष्ट बताया गया है?

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जो अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता वह इंद्रियों के द्वारा लोगों में रमण करने वाला पापायु पुरुष कैसा जीता है?

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देवता किसके द्वारा उन्नत किए जा सकते हैं?

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जो पापी लोग अपना शरीर पोषण करने के लिए अन्न पकाते हैं वह किसको खाते हैं

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यज्ञ के निमित्त किए जाने वाले कर्मों के अतिरिक्त दूसरे कर्मों में मनुष्य समुदाय क्या करता है?

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संपूर्ण कर्मों को चित्त द्वारा किसको अर्पण करने के लिए बताया गया है?

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कर्मयोग के आचरण करने वाले को क्या बताया गया है?

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आसक्ति से रहित होकर कर्म करता हुआ मनुष्य किसको प्राप्त होता है?

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